कोविड19 लॉकडाउन काल में चिन्ना पांड़े – रीता पाण्डेय

यह रीता पाण्डेय की अगली अतिथि पोस्ट है –


चौदह अप्रेल, 2020

लॉकडाउन का आज समापन है। पर समापन होगा या यह आगे जारी रहेगा? सबकी नजरें प्रधानमन्त्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी पर हैं कि वे क्या कहने वाले हैं?

घर में साढ़े छ वर्ष की पोती है – चीनी (चिन्ना या पद्मजा) पाण्डेय। वह मोदीजी के राष्ट के नाम सन्देश को ले कर बहुत उत्सुक है। उसकी उत्सुकता इस बात को ले कर भी है कि प्रधानमन्त्री लॉकडाउन खतम कर देंगे या नहीं।

उसका मूल प्रश्न है – “अब हम मार्केट जा सकेंगे?”

उसकी परीक्षा नहीं हुई है और स्कूल बन्द हो गया।

अब उसे पढ़ने के लिए Byju के टैब और उसकी सामग्री पर निर्भर रहना होता है। इसके अलावा वह कई अन्य पुस्तकें और कलर करने की वर्क बुक उलट पलट करती है।

गांव के बच्चे आपस में खेलते, हुड़दंग करते हैं। पर सोशल डिस्टेन्सिंग की अनिवार्यता उसे बताते हुये चिन्ना को घर में ही रहने को कहा जा रहा है। घर में उसके लिये जगह बहुत है – कमरों में भी और बाहर चारदीवारी के भीतर भी। पेड़ पौधे, जन्तु, जीव, पक्षी… सभी हैं देखने-खेलने के लिये। पर बच्चे को अपने मित्रों की भी आवश्यकता होती है। वह पूरी तरह से पूरी नहीं हो रही है।

बाहर के लोगों से अलग उसका बेस्ट फ़्रेण्ड वाहन चालक अशोक है। उसे वह “बुलबुल” कहती है। वह जो भी सीखती है, बुलबुल को सिखाती है। एक अच्छे शिष्य की तरह अशोक सीखने का अभिनय करता है।

वह बुलबुल को समझाती है कि अपने घर पर ही रहा करो। बाहर मत घूमा करो, नहीं तो 112 नम्बर को फ़ोन कर बता दिया जायेगा। बार बार साबुन से हाथ धोने की हिदायत देती है।

चीनी खुद भी जब तब हाथ धोती रहती है। उंगलियों और अंगूठों के बीच और इर्दगिर्द, हथेली के ऊपर और नीचे, सब विधिवत वैसे ही धोती है, जैसे टीवी पर या वीडियो में दिखाया गया था। सेनेटाइजर की शीशी से सभी को हाथ पोंछने के लिये कई बार बूंदे बांटती है। प्रधानमन्त्री ने कहा है, यह उसके लिये बहुत बड़ा उत्प्रेरक है।

अपने खिलौने दिन भर यहां वहां सजाती-समेटती रहती है, पद्मजा। गार्डन की बड़ी नीली छतरी उसका घर बन जाती है। उसमें सजे खिलौने उसके मित्र होते हैं। चिण्टू भालू को बुखार है। उसका तापक्रम लेती है। इन्जेक्शन लगाती है। भालू के माथे पर पट्टी रखती है। अपनी मां से पूछती है – इसको कोरोना तो नहीं हो गया?

गांव के बच्चे उसके मित्र हैं। गेट पर आ कर उसे खेलने के लिये बुलाते हैं। पर वह समझ गयी है कि जब तक लॉकडाउन खत्म नहीं होता, बाहर नहीं निकलना है।

मेरे चचेरे भाई (राजन भाई) सुबह शाम आते हैं। तब उन्हें चीनी से डांट पड़ती है – आप घर के बाहर घूम रहे हो, पुलीस को बुलाना पड़ेगा।

लॉकडाउन का नियमबद्ध पालन कर रही है चिन्ना (पद्मजा) पांड़े। सब इस लिये कि मोदी जी कहते हैं। साढ़े छ साल की चीनी अपने से दस गुना उम्रवाले प्रधानमन्त्री की जबरदस्त फ़ैन है।


Published by Rita Pandey

I am a housewife, residing in a village in North India.

4 thoughts on “कोविड19 लॉकडाउन काल में चिन्ना पांड़े – रीता पाण्डेय

  1. बहुत खूब..बच्चों में खेल ही खेल में अनुसरण करने की गजब चेष्टा होती है। सहज रूप में जब बड़ी बड़ी बातें आकार लेती हैं तो मन को लुभा देती हैं। चाहे हम बड़े हो गए मगर बच्चों की तरह उस बात का सहज अनुवाद या अनुकरण नहीं कर सकते। कुछ तो है जो बच्चे सहज समझा देते हैं वो बड़ों के लिए आसान नहीं!
    कोरोना ने बच्चों के बचपन को भी झकझोर दिया है। हम ईश्वर को धन्यवाद दें कि बच्चों का तार्किक होना और स्वयं ही समझ लेना जो हम चाहते हैं बहुत बड़ी बात है!
    आभार सर!!

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  2. परिवार के संस्कार का असर है चीनी पर🤗 प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से चीनी 😄जीवन में खूब उन्नति करें, ऐसे ही हँसती मुस्कुराती रहे 🙏

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