नीलगाय ने रास्ता काटा

वह नीलगाय नहीं, नीलसांड़ (blue bull) था। उसकी झुण्ड में औकात के हिसाब से दाढ़ी भी थी। बड़ा और भय उत्पादक शरीर था उसका। कद्दावर। सींग जरूर उसके कुछ छोटे थे। अभी अभी जवान हुआ होगा।

सड़क के दोनो ओर के खेतों में गेंहूं की फसल कट चुकी थी। कल दिन में बारिश और ओले पड़े थे, इसलिये किसानों ने कटाई के बाद गठ्ठर नहीं बनाये थे। सूखने के लिये बालें फैली छोड़ दी थीं खेत में। नीलगाय वही चर रहा था निर्द्वन्द्व।

मैं सोच रहा था कि वह दायें वाले खेत में ही चरेगा और साइकिल से चलता निकल जाऊंगा; पर उसने अचानक मेरे सामने से सड़क पार करने की सोच ली।

बिल्ली रास्ता काटती है तो अपशगुन होता है। गांवदेहात में नीलगाय के रास्ता काटने पर कोई शगुनापशगुन का निर्णय नहीं किया गया। नीलगाय के मानव के समीप होने और इस तरह सरलता से रास्ता काटने के दृष्टांत भी कम होते होंगे, जिससे गांव के लालबुझक्कड़ लोगों को कोई अपशगुन की थ्योरी बनाने का मौका मिले।

कद्दावर नीलगाय। और ऑस्टियोअर्थराइटिस ग्रस्त मेरे घुटने। अगर वह मेरी तरफ पलट कर आये तो चपलता से उसके रास्ते से अलग होना भी मेरे लिये सम्भव नहीं, भागने की कौन कहे। पर चित्र लेने का लोभ मुझे पास ले गया। उससे 10 मीटर की दूरी तक।

नीलगाय पार कर गया सड़क। मैं भी सड़क पर साइकिल चलाता चला गया। पर फिर 10-20 मीटर आगे जा कर लौटा; नीलगाय के और चित्र लेने के लिये।

कद्दावर नीलगाय। और ऑस्टियोअर्थराइटिस ग्रस्त मेरे घुटने। अगर वह मेरी तरफ पलट कर आये तो चपलता से उसके रास्ते से अलग होना भी मेरे लिये सम्भव नहीं, भागने की कौन कहे। पर चित्र लेने का लोभ मुझे पास ले गया। उससे 10 मीटर की दूरी तक।

यह गांव का इलाका धुर देहात नहीं है। ग्राण्ड ट्रंक रोड यहां से डेढ़ किलोमीटर दूर होगी। पर नीलगाय, लोमड़ी, मोर, सियार और किसिम-किसिम के सांप बहुधा दिख जाते हैं। अभी कल ही एक पांच फुट का सांप मारा गया है, घर के परिसर में।

गांव में रीवर्स माइग्रेट होने के पहले ही दिन मुझे गूंगी (सैण्ड बोआ) सांप के दर्शन हुये थे। लोग कहते हैं गूंगी के दर्शन शुभ होते हैं। और शुभ ही चल रहा है।

[बाद में नेट पर खंगालने पर पता चला कि अगर तस्कर सेण्ड बोआ को चीन तक ले जायें तो वहां उसकी कीमत करोड़ों में होगी। भला हो कि उस स्तर पर तस्करी नहीं होती, अन्यथा यह इलाका गूंगी सांप से विहीन हो जाता! :sad: ]

लगता है लॉकडाउन काल में; जैसे लोग सड़क पर वन्य जीवों का घूमना देख रहे हैं; नीलगाय भी आदमी के और ज्यादा करीब आ रहे हैं। जमीन पर ज्यादा हक जताया जा रहा है उनके द्वारा।

बहरहाल, आप ही बताइये कि नीलगाय का रास्ता काटना शुभ है या अशुभ।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

3 thoughts on “नीलगाय ने रास्ता काटा

  1. in shubh ashubh ke chakkar me aur jyotishiyon ke baval me mat pade / ye sivay bhay paida karane ke alava aur bhayadohan karane ke alava aur kuchch nahi karate / doctors sabase bade tantrik hote hai aur unako isaliye tantrik kaha jata hai ki doctors ke pas yantra, medical tantra aur medical mantra hote hai aur is vajah se sare khadayantra inake age nahi chalate / vaise bhi jab 55 sal ki umra puri hojay to in sab shakun aur ap shakun ka koi vichar nahi karan achahiye aur na kundali adi ka vichar karana chahiye / sab bhagavan asare chchodkar apane kam me lage rahana chahiye / yahi stya hai aur baki sab FRAUD ke alava aur kuchch nahi /

    Like

Leave a reply to Dr.D.B.Bajpai Cancel reply

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started