प्रेम पाण्डेय, कांवरिया का फोन आया


आज दोपहर में उनका फोन लगा पर कोई उत्तर नहीं मिला। मैंने दो बार कोशिश की। अचानक उनका फोन आया। बताया कि वे बनारस में ही विश्वनाथ मंदिर के पास किसी गेस्ट हाउस में हैं। जब मेरा फोन आ रहा था, तो वे थक कर सो रहे थे।

कुनबी का खेत, मचान और करेला


वह अनुभव ज्यादा महत्वपूर्ण था – पूरी तरह एड-हॉक तरीके से गांव की सड़क पर चलते चले जाना। किसी कुनबी के खेत में यूंही हिल जाना। मचान से सोते किसान को उठाना और पपीता खरीदने की मंशा रखते हुये करेला खरीद लेना।

Design a site like this with WordPress.com
Get started