नीरज अपने नियमित कस्टमर से आत्मीय सम्पर्क भी रखते हैं। मुझे पैर छू कर प्रणाम करते हैं – संक्रमण काल में थोड़ा दूरी से।
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ग्रामीण जीवन और अर्थव्यवस्था गम्भीर संकट में नहीं लगते
कटाई करने वाले ही नहीं, ईंट भठ्ठा मजदूर, आनेवाले पेट्रोल पम्प की दीवार बनाते आधा दर्जन लोग, सूखते ताल में मछली पकड़ते ग्रामीण, ठेले वाले, किराना की दुकान में छोटे वाहन से हफ़्ते भर की खेप लाने वाले, कटाई के बाद खेत से बची हुई गेंहू की बालें बीन कर जीवन यापन करने वाले, धोबी, नाई .. ये सब काम पर लगे हैं। ग्रामीण जीवन और अर्थव्यवस्था (लगभग) सामान्य है।
कठिन है जीवन, पिछली बरसात के बाद
जहां महुआरी थी, वहां अब झील बन गयी है। वह पानी कहीं निकल नहीं सकता। गांव वालों में न तो सामुहिक काम कर जल का प्रवाह बनाने की इच्छा है और न साधन। सरकार का मुंह देख रहे हैं…
