सामने उडद की फ़सल का ढेर लगा है। एक जोड़ी बैल ले कर अधियरा और उसकी पत्नी उडद की दंवाई कर रहे हैं। गोल गोल घूमते बैल अच्छे लगते हैं। यह दृष्य सामान्यत: आजकल दिखता नहीं गांव में। बैल खेती के परिदृष्य से अलग किए जा चुके हैं।

मुझे अन्दाज नहीं है कि उडद की फसल की गुणवत्ता या मात्रा अच्छी है या नहीं। अन्दाज से कहता हूं – उडद तो ठीक ठाक हो गयी है।
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