आई.सी.यू. में गांव की पोखरी


वे जल क्षेत्र जो गांव की आबादी के बीच हैं; उनकी दशा ज्यादा खराब है। उनमें से इस गांव – विक्रमपुर की पोखरी तो आई.सी.यू. में ही है। ज्यादा जीने की उम्मीद नहीं लगती। और आजकल उसे ले कर गांव के स्तर की राजनीति भी खूब हो रही है।

गांवदेहात का ढाबा और महिलाओं का ध्यान


जिस बात ने मेरा ध्यान खींचा, वह एक तीर लगा कर महिला शौचालय दिखाया जाना। इस यूपोरियन पितृसत्तात्मक समाज में इस तरह की चीज अजूबा टाइप है। स्त्रियों को लम्बी दूरी तक यात्रा में ब्लैडर भरा होने पर भी, अपने को रोकना पड़ता है।

बरसात में सुग्गी की सुबह


सुग्गी बहुत वाचाल है। कहती जाती है – “जीजी, बहुत काम है। मरने की फुर्सत नहीं है।” पर फिर भी रुक कर बातें खूब करती है। कई बार तो बातें खत्म कर जाने लगती है तब कुछ और याद आ जाने पर वापस लौट कर बताने-बतियाने लगती है।

Design a site like this with WordPress.com
Get started