ऑनलाइन युग गांव के मेरे पते को उपयुक्त नहीं पाता। शायद इण्डिया, भारत को न पहचानने की जिद सी करता है। शुरुआत “आधार” से हुई। गांव में शिफ़्ट होने पर मैने अपना पता आधार की साइट पर जा कर बदलने का यत्न किया। अपना पिन कोड भरने पर उसने पते में गांव, पोस्ट, और तहसील लेने केContinue reading “गांव का पता और ऑनलाइन जरूरतें”
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मिश्री पाल की भेड़ें
गड़रिया हैं मिश्री पाल। यहीं पास के गांव पटखौली के हैं। करीब डेढ़ सौ भेड़ें हैं उनके पास। परिवार के तीन लोग दिन भर चराते हैं उनको आसपास। मुझे मिले कटका रेलवे स्टेशन की पटरियों के पास अपने रेवड़ के साथ। भेड़ें अभी ताजा ऊन निकाली लग रही थीं। हर एक बेतरतीब बुचेड़ी हुई। उन्होनेContinue reading “मिश्री पाल की भेड़ें”
सब्जी भाजी का बगीचा
उस घर के बाहर बांस की खपच्चियों वाली बाड़ के बगीचे को सड़क से साइकल चलाते आते जाते रोज देखता था। आज अपना वाहन रुकवा कर वहां पैदल गया। वहां पंहुचने के लिए संकरी पगडंडी पर लगभग 100 मीटर चलना था। उस संकरे रास्ते पर साइकिल भी नहीं चलाई जा सकती थी। खेत की कुछContinue reading “सब्जी भाजी का बगीचा”
