गुलाब नाऊ


जातियां, काम धंधे, गांव की हाईरार्की – इन सब से मेरा पाला रोज रोज पड़ता है। कभी लगता है कि समाजशास्त्र का विधिवत अध्ययन कर लूं। एक दो साल उन्हीं पर पुस्तकें पढूं। शायद मेरी समझ और नजरिया सुधरे।

स्वास्थ्य का स्रोत – घर का बगीचा


कण्डाल से एक छोटी प्लास्टिक की बालटी में पानी ले कर वे हर पौधे के पास जाती हैं और उसकी जरूरत अनुसार पानी उनकी जड़ों में उड़ेलती हैं। पानी कण्डाल से लेने, चलने, झुकने आदि में जो व्यायाम है, वह पत्नीजी के स्वास्थ्य को पुष्ट करता है।

मटर की छीमी तोड़ने जाती औरतें


मुम्बई में सबर्बन लोकल ट्रेनों में कम्यूट करने वाली महिलाओं की अपेक्षा ये ज्यादा आपसी बोलचाल में व्यस्त लगती हैं। निश्चय ही उनसे ज्यादा प्रसन्न दीखती हैं। विपन्नता और प्रसन्नता में कोई व्युत्क्रमानुपाती सम्बंध नहीं होता।

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