मास्साब सवेरे सात से आठ बजे तक एक घण्टा दे कर तीन हजार रुपया महीना कमाते होंगे। अभिभावक भी डेढ़ सौ महीना दे कर बच्चे को शेक्सपीयर/रामानुजम बनाने की नहीं स्कूल की भरपायी की आशा रखते होंगे।
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दलित बस्ती में मनी रविदास जयंती
“हवन कौन कराता है? बाहर से किसी पण्डित को बुलाते हैं?”
“नहीं। बस्ती के ही जानकार पुराने लोग करा लेते हैं। पहले मेरे बब्बा जानकार थे। अब कोई बचा नहीं। अब तो लोग सिर्फ जैकारा भर लगाना जानते हैं।”
#200शब्द – कैलाश दुबे
मुझे यह लगा कि यूंही, कैलश जी के पास जाया और बैठा जा सकता है। धर्म और अर्थ को सरलता के मधु में जिस कुशलता से उन्होने साधा है, वह अभूतपूर्व है।
