सवेरे की घुमंतू दुकान


“इस इलाके में ज्यादातर लोग ऐसे ही काम कर रहे हैं। और कुछ करने को नहीं है; इस लिये जो मिल रहा है, किये जा रहे हैं।”

आज की ब्लॉग पोस्ट – शैलेंद्र चौबे की नयी दुकान


छोटे स्तर पर ही सही; एक सवर्ण नौजवान की सरकारी नौकरी की मरीचिका से पार निकलने की कोशिश बहुत अच्छी लगी!

रघुबीर बिन्द का वर्मीकल्चर उद्यम


रघुबीर बिन्द जैसे लोग, जो गांव देहात में भी रोजगार के उभरते प्रकार को खोज-तलाश रहे हैं, भविष्य की आशा हैं।