रामसेवक जी के उद्यम की कथा


रामसेवक अपने काम से संतुष्ट हैं। और उसका श्रेय पूरी लगन और ईमानदारी से अपने काम करने की आदत को देते हैं। उनके अनुसार लोग अगर इसी तरह से काम करें, कभी जांगरचोरई न करें तो हर एक के लिये सम्मानजनक काम है और इज्जत है।

घर के बगीचे में


मेरी पत्नीजी के पास इस बागवानी विधा और उसमें पलते जीवजंतुओं के बहुत से अनुभव हैं और बहुत सी कहानियां भी। वे उन्हें ब्लॉग पर प्रस्तुत करें तो छोटे-मोटे रस्किन बॉण्ड जैसा काम हो सकता है। पर पता नहीं उनका यह करने का मन होगा या नहीं। ….

मिशन मचिया पीछा नहीं छोड़ रहा :-)


मिशन मचिया पीछा नहीं छोड़ रहा। पर यह भी है कि हम पीछा छुड़ाना भी नहीं चाहते! क्रियेटिव आनंद मिल रहा है उसमें। :-)

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