मानिक सेठ की महराजगंज, जिला भदोही में किराने की दुकान है। नोटबन्दी के बाद उनकी पहली दुकान थी, जहां मैने कैशलेस ट्रांजेक्शन का विकल्प पाया। पच्चीस नवम्बर की शाम थी। नोटबन्दी की हाय हाय का पीक समय। वे पेटीएम के जरीये पेमेण्ट लेने को तैयार थे। मैने अपने मोबाइल से पेमेण्ट करना चाहा पर इण्टरनेटContinue reading “मानिक सेठ और कस्बे में कैशलेस”
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एक भाग्यशाली (?!) नौजवान से मुलाकात
(यह मैने बतौर फेसबुक नोट पोस्ट किया हुआ है। ब्लॉग पर इसका परिवर्धित रूप रख रहा हूं। दस्तावेज के लिये।) वाराणसी में मैं सोनू (प्रमेन्द्र) उपाध्याय के रथयात्रा स्थित मेडिकल स्टाक-दफ़्तर में बैठा था। सोनू मेरे बड़े साले साहब (देवेन्द्र नाथ दुबे जी) के दामाद हैं। अत्यन्त विनम्र और सहायता को तत्पर सज्जन। वे मेरेContinue reading “एक भाग्यशाली (?!) नौजवान से मुलाकात”
मिश्री पाल की भेड़ें
गड़रिया हैं मिश्री पाल। यहीं पास के गांव पटखौली के हैं। करीब डेढ़ सौ भेड़ें हैं उनके पास। परिवार के तीन लोग दिन भर चराते हैं उनको आसपास। मुझे मिले कटका रेलवे स्टेशन की पटरियों के पास अपने रेवड़ के साथ। भेड़ें अभी ताजा ऊन निकाली लग रही थीं। हर एक बेतरतीब बुचेड़ी हुई। उन्होनेContinue reading “मिश्री पाल की भेड़ें”
