पीयूष वर्मा के तैलीय औषध पर फीडबैक


फिलहाल यह माहौल तो मेरे साथ बना ही है कि पैदल चल रहा हूं। खूब साइकिल चला रहा हूं और अपने घर के बगीचे के कड़े अमरूद खाने में बगीचे के अनामंत्रित अतिथि – तोतों के झुण्ड – से स्पर्द्धा कर ले रहा हूं।

महुआ, हिंगुआ और गड़ौली धाम


हिंगुआ का चित्र लेने के लिये मैं घुटनों के बल जमीन पर बैठता हूं। मोबाइल को गिरने से बचाते हुये कठिनाई से चित्र ले पाता हूं। उम्र बढ़ रही है जीडी।
हिंगुआ का चित्र लेने के लिये झुकना – ज्यादा समय नहीं कर पाओगे!

धंधुका – कांवर यात्रा में पड़ा दूसरा रेल स्टेशन


प्रेमसागर दोपहर दो-तीन बजे धंधुका रेलवे स्टेशन पर आ गये थे। वहां खाली पड़े रेलवे स्टेशन के डॉर्मेट्री वाले रेस्ट हाउस में जिसमे चार बिस्तर हैं; प्रेमसागर को जगह मिली। स्टेशन पर बिजली पानी की सुविधा है। काम लायक फर्नीचर भी है।

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