कठिन है जीवन, पिछली बरसात के बाद


जहां महुआरी थी, वहां अब झील बन गयी है। वह पानी कहीं निकल नहीं सकता। गांव वालों में न तो सामुहिक काम कर जल का प्रवाह बनाने की इच्छा है और न साधन। सरकार का मुंह देख रहे हैं…

प्रयागराज में सवेरे साइकिल चलाना रुच रहा है


गांव और शहर दोनों के साइकिल भ्रमण के अपने अलग अलग चार्म हैं. मन अब दोनों से आकर्षित होता है.

एकादशाह – देह त्याग से 11 वाँ दिन


पिताजी के एकादशाह के दिन के 9 ट्वीट हैं जो उस दिन का मोटा मोटा विवरण देते हैं.

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