उनके आते ही घर के परिसर की सूरत बदलनी शुरू हो गयी है। हेज की एक राउण्ड कटिंग हो गयी है। मयूरपंखी का पौधा अब तिकोने पेण्डेण्ट के आकार में आ गया है। एक दूसरे से भिड़ रहे पेड़ अब अनुशासित कर दिये गये हैं।
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दार्शनिक, कारोबारी या बाहुबली #गांवकाचिठ्ठा
उसने उत्तर देने के पहले मुंह से पीक थूंकी। शायद मुंह में सुरती थी या पान। फिर उत्तर दिया – “सोचना क्या है। देख रहे हैं, काम करने वाले आ जाएं, नावें तैयार हो कर उस पार रवाना हो जाएं। आज काम शुरू हो जाए। बस।
संदीप कुमार को एक व्यवसाय और, उससे ज्यादा, आत्मविश्वास चाहिये #गांवकाचिठ्ठा
नौकरी में दिक्कत है, व्यवसाय के लिए पूँजी की किल्लत है। संदीप के यह बताने में निराशा झलकती है। पर मेरा आकलन है कि उसमें आत्मविश्वास की कमी है। उसको प्रोत्साहित करने वाले नहीं मिलते उसके परिवेश में।
