मेरे व्यक्तित्व में कुछ है जिसे किसी बैरियर पर चेक किया जाना अच्छा नहीं लगता। रेलवे का आदमी हूं और कभी न कभी टिकेट चेकर्स मेरे कर्मचारी हुआ करते थे। पर खुद मुझे टिकेट चेक कराना बहुत खराब लगता है।
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साइकिल सैर की एक दोपहर – विचित्र अनुभव
वे दम्पति भारत के उस पक्ष को दिखाते हैं जो जाहिल-काहिल-नीच-संकुचित है। भारत अगर प्रगति नहीं करता तो ऐसे लोगों के कारण ही।
धंधुका – कांवर यात्रा में पड़ा दूसरा रेल स्टेशन
प्रेमसागर दोपहर दो-तीन बजे धंधुका रेलवे स्टेशन पर आ गये थे। वहां खाली पड़े रेलवे स्टेशन के डॉर्मेट्री वाले रेस्ट हाउस में जिसमे चार बिस्तर हैं; प्रेमसागर को जगह मिली। स्टेशन पर बिजली पानी की सुविधा है। काम लायक फर्नीचर भी है।
