श्यामबिहारी का परिचय पूछा मैंने। मेरे घर के पास उनकी गुमटी है। दो लडके हैं। बंबई में मिस्त्री के काम का ठेका लेते हैं। पहले श्यामबिहारी ही रहते थे बंबई। मिस्त्री का काम दिहाड़ी पर करते थे। बाईस साल किये। फिर उम्र ज्यादा हो गयी तो बच्चे चले गए उनकी जगह। महानगर को माइग्रेशन काContinue reading “श्यामबिहारी चाय की दुकान पर”
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एक भाग्यशाली (?!) नौजवान से मुलाकात
(यह मैने बतौर फेसबुक नोट पोस्ट किया हुआ है। ब्लॉग पर इसका परिवर्धित रूप रख रहा हूं। दस्तावेज के लिये।) वाराणसी में मैं सोनू (प्रमेन्द्र) उपाध्याय के रथयात्रा स्थित मेडिकल स्टाक-दफ़्तर में बैठा था। सोनू मेरे बड़े साले साहब (देवेन्द्र नाथ दुबे जी) के दामाद हैं। अत्यन्त विनम्र और सहायता को तत्पर सज्जन। वे मेरेContinue reading “एक भाग्यशाली (?!) नौजवान से मुलाकात”
मिश्री पाल की भेड़ें
गड़रिया हैं मिश्री पाल। यहीं पास के गांव पटखौली के हैं। करीब डेढ़ सौ भेड़ें हैं उनके पास। परिवार के तीन लोग दिन भर चराते हैं उनको आसपास। मुझे मिले कटका रेलवे स्टेशन की पटरियों के पास अपने रेवड़ के साथ। भेड़ें अभी ताजा ऊन निकाली लग रही थीं। हर एक बेतरतीब बुचेड़ी हुई। उन्होनेContinue reading “मिश्री पाल की भेड़ें”
