नजीर मियाँ की खिचड़ी – रीपोस्ट


नजीर मियां का पूरा परिवार आम की रखवाली में लगा रहता था। जब आम का सीजन नहीं होता था तब वह साड़ियां बुनता था। औरतें धागे रंगती, सुखाती और चरखी पर चढ़ाती थीं। फिर आदमी लोग उसे करघे पर चढ़ा कर ताना-बाना तैयार करते।

मोहनलाल, सूप वाला


गजब के आदमी मिले सवेरे सवेरे मोहनलाल। आशा और आत्मविश्वास से परिपूर्ण। कर्मठता और जिन्दगी के प्रति सकारात्मक नजरिये से युक्त। इस इलाके के निठल्ले नौजवानों के लिये एक मिसाल।

दूसरी पारी की शुरुआत – पहला दिन


मजेदार बात यह रही कि मेरे फोन नम्बर पर दो तीन अधिकारियों-कर्मचारियों के फोन भी आये। वे मुझे माल गाड़ी की रनिंग पोजीशन बता रहे थे। मैं तो रेलवे को छोड़ रहा था, पर वे मुझे छोड़ना नहीं चाह रहे थे।

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