बाढ़ू का नाम कैसे पड़ा?


बाढ़ू ने बताया कि सन 1948 की बाढ़ में जन्म होने के कारण उनका नाम बाढ़ू पड़ गया और वही नाम चलता चला आ रहा है।

सतर्क रेल कर्मी, बसंत चाभीवाला


आठ किलोमीटर की पेट्रोलिंग करता है बसंत रोज। उसके कंधे पर जो औजार और फ्लैग पोस्ट होता है, उसका वजन आठ-दस किलो होता है। सवेरे सवेरे, भोर की वेला में सर्दी-गर्मी-बरसात झेलता उस वजन के साथ रेल पटरी-गिट्टी पर चलता है बसंत। निगाहें पटरी की दशा और चाभियों की कसावट पर रखनी होती है। … आजकल सेना के जवानों का प्रशस्ति गायन फैशन में हैं। पर बसंत चाभीवाले की नौकरी कौन कम साधुवाद की है?!

चीनी पाण्डेय ने बनाई चिड़िया की कहानी


“उस बाग में ढेरों चिड़ियाँ रहती थीं। वहीं एक पेड़ पर बुलबुल भी रहती थी। वह सुनहरे रंग की थी। दिन में वह अकेली रहती थी। उसके माता पिता दूर कहीं काम पर जाते थे …”

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