भोजपुर पंहुचे प्रेमसागर


नामदेव जी के घर सत्कार, जय प्रकाश जी के दफ्तर में लोगों द्वारा सेवा और भोजेश्वर मंदिर के महंत जी से मुलाकात – यह सब उपलब्धि ही है। महादेव का कठिन पदयात्रा के दौरान उत्साह बढ़ाने को दिया प्रोत्साहन। चले चलो प्रेमसागर! हर हर महादेव का जयकारा लगाते चले चलो!

बाड़ी से बिनेका


रास्ता मैं यह बालक
हमको आते देखा तो दौड़ कर
हमको रोका और पानी पिलाया। और 8 अमरूद लाया
और बोला कि बाबा रास्ता में कोई गांव नहीं मिलेगा आप खा लीजिएगा।
महादेव जी उस बालक को लंबी उमर,
विद्या और बुद्धि दे। यही आशीर्वाद बच्चा को दिए हैं हम।

बरेली से बाड़ी, हिंगलाज माता और रामदरबार


आज की यात्रा के शिव-तत्व-दर्शन में दूसरी घटना प्रेम सागर त्रिपाठी जी से मिलना बताते हैं। त्रिपाठी जी ने उन्हें दो चुनरी, श्रीफल, सेब और केले और दुर्गा सप्तशती की एक पुस्तक उपहार में दी और ढेर सारा आशीर्वाद दिया यात्रा के लिये।

उदयपुरा से बरेली और नागा बाबा से मिला सत्कार


“नहीं भईया, नागा लोगों का दिया धन पचाना आसान बात नहीं है। मेरे मना करने पर भी पचास रुपया और दिये नागा बाबा। … कपड़ा-लंगोट कुछ नहीं पहने थे। बस एक गमछा लपेट लिये थे लोगों के सामने आने के समय।”

कुछ और चलें – गाडरवारा से उदयपुरा


मुझे अपनी दशा सम्पाती की तरह लगी। वह और किसी प्रकार से वानरों की सहायता नहीं कर सकता था। वह केवल यह देख सकता था कि लंका कितनी दूर है और सीता कहां पर हैं। मैं भी केवल यह बता सकता था कि प्रेमसागर का गंतव्य कितना दूर है।

गाडरवारा, गाकड़, डमरू घाटी और कुम्हार


मेरी पत्नीजी यह सुन देख कर कहती हैं – बेचारे प्रेमसागर! तुमने उस शरीफ आदमी को कुम्हार की बस्ती खोजने में लगा दिया! शंकर भगवान तुम पर किचकिचा रहे होंगे। तुम उनका शोषण कर रहे हो ‌‌डिजिटल एक्स्प्लॉइटेशन! 🙂