यात्रायें, यादें और कोविड19 – रीता पाण्डेय


भरतपुर में मालगाड़ी को सिगनल मिल गया था। वह हिलने लगी तब स्टेशन मास्टर साहब दौडते हुये आये और अपने घर से बनी चाय और पेपर कप हमें थमा दिये। हिलते ब्रेकवान में खड़े खड़े हमने गार्ड साहब से शेयर करते चाय पी। … मेरे और मेरे बच्चों के लिये यह यादगार अनुभव था।

दस दिवसीय दाह संस्कार क्वारेण्टाइन – शोक, परंपरा और रूढ़ियां


पिताजी की याद में कई बार मन खिन्न होता है. पर उनकी बीमारी में भी जो मेरा परिवार और मैं लगे रहे, उसका सार्थक पक्ष यह है कि मन पर कोई अपराध बोध नहीं हावी हो रहा.

नंदू नाऊ का मोनोलॉग


नंदू के पास देश काल समाज की बहुत जानकारी है जो वह मुझ जैसे “उपयुक्त” श्रोता को सुनाने की इच्छा का दमन नहीं करता.

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