गड़ौली धाम, सगड़ी और सुनील भाई


कुटिया के पास नयी सगड़ी दिखी। हीरालाल ने बताया कि चार रोज पहले आई थी कछवाँ से। “बाबू जी चलावत रहें। बहुत मस्त फोटो आई रही। आपऊ देखे होब्यअ। (बाबूजी – सुनील भाई चला रहे थे। बहुत शानदार फोटो आई थी। आपने भी देखी होगी।)”

गड़ौली धाम: 80+ के रोज गंगा नहाने वाले लोग आये


जब यहां गड़ौलीधाम में महादेव की प्राण प्रतिष्ठा हो गयी है तो गंगा किनारे थोड़ा व्यवस्थित घाट बना कर वहां इन सज्जनों जैसी विभूतियों को अपने यहां नित्य आने के लिये आकर्षित करना चाहिये। धाम उन्ही जैसों से जीवंत होगा!

सुनील ओझा जी और गाय पर निर्भर गांव का जीवन


इस इलाके की देसी गौ आर्धारित अर्थव्यवस्था पर ओझा जी की दृढ़ सोच पर अपनी आशंकाओं के बावजूद मुझे लगा कि उनकी बात में एक कंविक्शन है, जो कोरा आदर्शवाद नहीं हो सकता। उनकी क्षमता भी ऐसी लगती है कि वे गायपालन के मॉडल पर प्रयोग कर सकें और उसके सफल होने के बाद उसे भारत के अन्य भागों में रिप्लीकेट करा सकें।

Design a site like this with WordPress.com
Get started