उल्टी कालीन को सीधा कर एक व्यक्ति – अजय – ने मुझे दिखाया। उसने कहा कि उन्हें तो अपने काम की मजूरी मिलती है। मजूरी यानी रोजी रोटी का जरीया। बाकी, असल में कमाई तो मालिक या एक्स्पोर्टक की होती है।
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इस्माइल फेरीवाला
अर्थव्यवस्था को ले कर नौजवान रोना रो रहे हैं। #गांवदेहात में आठ हजार की मासिक आमदनी का मॉडल तो इस्माइल जी आज दे दिये मुझे।
…मुझे किसी अंगरेजी विद्वान का कथन लिखा याद आता है – न पढ़े होते तो सौ तरीके होते खाने-कमाने के!
द मिलियनेयर नेक्स्ट डोर – पास के गांव वाले सूर्यमणि तिवारी जी
इकहत्तर साल से अधिक उम्र के व्यवसायी, तथाकथित वानप्रस्थ की उम्र में, जिस प्रकार स्टेट ऑफ टेक्नॉलजी और मार्केट पर अपने विचार रख रहे थे, वह सुन कर अपने रिटायरमेन्ट पर मुझे संकोच होने लगा.
