अरे वह क्रियेटिव – फन ही नहीं, देने की प्रसन्नता की आदत विकसित करना भी था।


आनंद को केंद्र में रख कर अपनी आदतें ढालने की एक सयास कोशिश की जा रही है। विचार यह है कि हम उसे पैसा खर्च कर, सामान खरीद कर, मार्केटिंग कर या इधर उधर की बतकही/परनिंदा कर नहीं, विशुद्ध प्रसन्नता की आदतें विकसित करने से करेंगे।

मिशन मचिया पीछा नहीं छोड़ रहा :-)


मिशन मचिया पीछा नहीं छोड़ रहा। पर यह भी है कि हम पीछा छुड़ाना भी नहीं चाहते! क्रियेटिव आनंद मिल रहा है उसमें। :-)

सावन में बाबा विश्वनाथ के कुछ “बम”


योगी बम – यह बन्दा डीजे के शोर पर नाच रहा था। मैने फोटो लेने का उपक्रम किया तो वह अपना चेहरा आगे करने लगा। मैने कहा, तुम्हारे मुंह का नहीं, पीठ का फोटो लेना है। योगी-बम का!

Design a site like this with WordPress.com
Get started