बहुत सानदार फोटो घींचे हयअ यार!


बच्चे में, उससे पांच गुना ज्यादा उम्र वाले अजनबी के साथ बात करते, प्रश्न करते कोई संकोच, कोई झिझक नहीं थी।
“बहुत सानदार फोटो घींचे हयअ यार! … अरे ये तो हुंआ की फोटो है। और ये तो सिवाला की है। … केतने क मोबाइल हौ?”

स्मार्टफोन जाओ, साइकिल आओ


उसने मुझे दिखाया था कि साठ रुपये की पुड़िया में दो तीन दिन तक वे तीन चार लोग चिलमानंद मग्न रह सकते थे। वह ‘सात्विक’ आनंद जिसे धर्म की भी स्वीकृति प्राप्त थी। यह सब मैं, अपनी नौकरी के दौरान नहीं देख सकता था।

प्रसन्नता की तलाश – गंगा, गांव की सैर


सवेरे अपने वाहन चालक को सात बजे बुला, उसके साथ एक कप चाय पीने के बाद हम दोनों ने घर से निकल कर गांव की छोटी सड़कों पर यूंही घूमने की सोची। करीब एक घण्टा इस प्रकार व्यतीत करने का कार्यक्रम रखा।

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