वे अपने हिसाब से बनारस से खरीद लाते हैं फूलों के पौधे, गमले या अन्य उपकरण। मेरी पत्नीजी उनके साथ लगी रहती हैं। पौधों, वृक्षों को पानी देना, धूप में रखना या बचाना आदि नियमित करती हैं। मेरी पोती चिन्ना पांड़े भी रामसेवक अंकल से पूछने के लिये अपने सवाल तैयार रखती है।
Monthly Archives: Jan 2021
दूसरी पारी – माधोसिंह रेलवे स्टेशन पर ट्रांजिट
चील्ह से गंगा उसपार मिर्जापुर बिंध्याचल से यात्री माधोसिंह आया करते थे। उनके अलावा मिर्जापुर से तांबे या पीतल के बर्तन भी आया करते थे। उनका माधोसिंह में यानांतरण होता था। उस रेल लाइन की अपनी संस्कृति थी, अपना अर्थशास्त्र।
उज्जैन के रेलवे गुड्स यार्ड की यादें
उज्जैन गुड्स यार्ड, जिसे एन सी यार्ड कहा जाता था, ने मुझे रेलवे संस्कृति के बारे में बहुत कुछ सिखाया। एन सी यार्ड का मतलब था Newly Constructed Yard. नया बना होगा, पर बहुत जल्दी रेलवे का फुटकर लदान का युग खत्म हो गया। … उज्जैन ही नहीं; पूरी रेलवे के यार्ड अपनी महत्ता खो बैठे।
