मैं अपने तनाव, शरीर और मन की उपेक्षा और रोज रोज की चिख चिख से अपने को असम्पृक्त नहीं कर सका। अगर वह सीख लेता – और उसके प्रति सचेत रहता – तो आज कहीं बेहतर शारीरिक/मानसिक दशा में होता।
Monthly Archives: Jan 2021
दउरी बनाने वालों का बाजार
संक्रांति के अवसर पर हम लाई, चिवड़ा, गुड़ की पट्टी, तिलकुट, रेवड़ी, गुड़ का लेड़ुआ और गजक जैसी चीजें खरीदने के लिये महराजगंज बाजार गये थे। वहां गिर्दबड़गांव की धईकार बस्ती के संतोष दिखे। एक साइकिल पर बांस की दऊरी लटकाये थे।
संसाधनों की कमी से जूझते अगियाबीर के पुरातत्वविद
खुदाई अगर साधनों की कमी के कारण टलती रही तो बहुत देर नहीं लगेगी – बड़ी तेजी से खनन माफिया टीले की मिट्टी के साथ साथ सिंधु घाटी के समान्तर और समकालीन नगरीय सभ्यता मिलने की सम्भावनायें नष्ट कर जायेगा।
